गुरुवार, 11 अप्रैल 2013

आईने से नज़रे मिला लीजिये .......


आँखों में नमी, दिल परेशां क्यों है,
मैं सब बता दूंगा, दो घूँट पिला दीजिये.......

और नशा शराब का यकीनन बढेगा,
इसमें अश्क मेरे, मिला दीजिये.......

गलती इंसान से नहीं तो क्या खुद से होगी,
क्यू खामखा, किसी से गिला कीजिये.......

खुद से मोहब्बत, आपको हो जाएगी
आईने से नज़रे, मिला लीजिये .......



        कवि प्रभात "परवाना"
 वेबसाईट का पता:- www.prabhatparwana.com


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