सोमवार, 13 जून 2011

हुस्न पर शराफत का वर्क

मेरे हमशक्ल में साहिल तलाशती है वो,
नहीं जानती समंदर और दरिया का फर्क क्या होता है,
उसे जन्नत की आदत भी मैंने डाली है
वर्ना उसे खबर नहीं कि नर्क क्या होता है
"औकात" पर उतर गए वो, तब से यकीन है
हुस्न पर शराफत का वर्क क्या होता है
अभी जुगनुओ से पाला ही पड़ा है उनका
वो क्या जाने की "प्रभात" का अर्क क्या होता है


प्रभात कुमार भारद्वाज"परवाना"



1 टिप्पणी:

SARITA ने कहा…

WAH,, KABHI AASMAAN NA CHHUA, NA TO SAGAR MEIN DUBKI LAGAYA.. NOOR E PEABHAT KYA SAMJHE BADNASHEEB JUGNOON KI JO ADI BANGAYA.............. THINKINK WHT BEST YOU CAN GIVE AND WHAT SUPREME U HAVE.... WORDS EXPRESS ALL.